क्या भारतीय वित्तीय वर्ष 2022-23 में आर्थिक विकास की संभावनाएं हैं?

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31 मार्च 2022 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2021-22 में अर्थ से सम्बंधित विभिन्न क्षेत्रों के निष्पादन सम्बंधी आंकड़े लगातार जारी किए जा रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद के समय में ऐसा लगता है कि कई आर्थिक क्षेत्रों में तो जैसे रिकार्ड तोड़ कार्य हुआ है। इसका सीधा असर देश के कर राजस्व के संग्रहण पर भी स्पष्ट तौर पर दिखाई देता हैं। पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में देश में राजस्व संग्रहण 34 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर अर्जित करते हुए 27.07 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। इतनी बड़ी राशि का कर संग्रहण देश में कोरोना महामारी की तीन लहरों के आने के बावजूद हुआ है। प्रत्यक्ष कर संग्रहण भी रिकार्ड 49 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 14.10 लाख करोड़ का रहा है, अप्रत्यक्ष कर संग्रहण भी 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 12.90 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचा है। कम्पनी कर संग्रहण भी 32 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8.6 लाख करोड़ का रहा है। अब स्पष्ट तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग सभी आर्थिक क्षेत्र, निष्पादन के मामले में, कोरोना महामारी के समय के पूर्व के स्तर से आगे निकल आए हैं।   

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प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
ग्वालियर –
ई-मेल – psabnani@rediffmail.com

वित्तीय वर्ष 2021-22 तो समाप्त हो चुका है और अब वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के आर्थिक क्षेत्र में निष्पादन की चर्चाएं की जाने लगी हैं। केंद्र सरकार भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने के लिए लगातार नित नए उपाय कर रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वित्त मंत्रालय देश द्वारा बुनियादी ढांचा को विकसित करने के उद्देश्य से पूंजीगत खर्चों में वृद्धि पर लगातार जोर दिया जा रहा है ताकि देश के आर्थिक विकास की गति को और अधिक तेज किया जा सके एवं रोजगार के नए अवसर भारी मात्रा में निर्मित किए जा सकें। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में भी भारी भरकम राशि की व्यवस्था की गई है। केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में किए जाने वाले पूंजीगत खर्चों में अधिकतम 35.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 7.50 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में पूंजीगत खर्चों के लिए किया है जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 5.54 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था। साथ ही, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में कुछ अन्य महत्वपूर्ण उद्योगों को भी शामिल कर इस योजना का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत 13 विभिन औद्योगिक उत्पादों को शामिल करते हुए 197,000 करोड़ रुपए की राशि इस योजना पर खर्च करने का निर्णय किया जा चुका है एवं इसमें से बहुत बड़ी राशि का बजट में प्रावधान भी कर लिया गया है। इस योजना में जिन क्षेत्रों को शामिल किया गया है उनमें शामिल हैं – ऑटोमोबील एवं ऑटो उत्पाद निर्माण इकाईयां, ड्रोन उत्पाद निर्माण इकाईयां, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं हार्डवेयर निर्माण इकाईयां, फूड प्रॉसेसिंग इकाईयां, मेडिकल उपकरण निर्माण इकाईयां, फार्मा उद्योग, स्टील उद्योग, केमिकल उद्योग, एलईडी बल्ब एवं एसी निर्माण इकाईयां, टेक्स्टायल उद्योग, सोलर पैनल निर्माण इकाईयां, टेलिकॉम एवं नेटवर्क उत्पाद निर्माण इकाईयां, शामिल हैं।

इस विशेष योजना का लाभ उठाने के उद्देश्य से विश्व की कई बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपनी उत्पादन इकाईयों को भारत में स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही वैश्विक स्तर पर यह कम्पनियां स्थानीय सप्लाई चैन का हिस्सा बनने की ओर भी अग्रसर हैं। इस सबका मिलाजुला असर भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर बहुत अच्छा रहने की सम्भावना है। साथ ही कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा उक्त वर्णित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे है। इस प्रकार भारत 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यस्था बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्तीय वर्ष 2021-22 में लगभग 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के बन जाने का अनुमान लगाया जा रहा है जो कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद 5वें स्थान पर रह सकती है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में विदेशी व्यापार के मामले में भारत ने 417 अरब अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं का निर्यात करने में सफलता पाई है। साथ ही, सेवाओं का निर्यात भी 250 अरब अमेरिकी डॉलर के आस पास रहा है। जिस गति से वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ा है उससे अब यह माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 1000 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो कि अपने आप में एक इतिहास रच देगा। इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए आर्थिक सुधारों एवं कारोबार सुगमता के लिए उठाए गए कदमों के चलते वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो सकता है, ऐसी सम्भावनाएं अब उद्योग मंडलों द्वारा व्यक्त की जा रही हैं।

professional people standing beside a whiteboard.
Professional people standing beside a whiteboard

भारत ने विदेशी व्यापार को बढ़ाने एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से अभी हाल ही में 18 फरवरी 2022 को यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) के साथ वृहद आर्थिक भागीदारी समझौता सम्पन्न किया है। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य अगले 5 वर्षों के दौरान  यूएई के साथ भारत के विदेशी व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना एवं रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित करना है। अभी भी यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। इस मुक्त व्यापार समझौते से भारत में श्रम-गहन क्षेत्रों मसलन कपड़ा, चमड़ा, जूते-चप्पल, खेल का सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि और लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग, फार्मास्युटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों तथा वाहन जैसे उद्योगों को काफी लाभ मिलेगा। साथ ही सेवा क्षेत्र में भी विशेष रूप से कंप्यूटर से संबंधित सेवाएं, ऑडियो-विजुअल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, यात्रा, नर्सिंग, इंजीनियरिंग और लेखा सेवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।यूएई के बाद भारत ने अभी हाल ही में आस्ट्रेलिया के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता सम्पन्न किया है एवं इसी प्रकार के मुक्त व्यापार समझौते ब्रिटेन, कनाडा, इजराईल, अमेरिका एवं यूरोपीयन यूनियन, आदि देशों के साथ भी किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत पूर्व में भी दक्षिणी कोरिया, जापान, मलेशिया, मारिशस, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, चिली, मरकोसुर आदि देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) अथवा तरजीही व्यापार समझौते सम्पन्न कर चुका है। जिसके चलते, वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के 1,000 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने में आसानी हो सके।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी किए गए के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी की दर में भी अब कमी आने लगी है। देश में मार्च 2022 माह में बेरोजगारी की दर 7.6 प्रतिशत रही है जो कि फरवरी 2022 माह में 8.10 प्रतिशत थी। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 8.5 फीसदी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 7.1 प्रतिशत रही है। गुजरात एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में बेरोजगारी की दर सबसे कम 1.8 प्रतिशत रही है, जबकि त्रिपुरा में 14.1 प्रतिशत, बिहार में 14.4 प्रतिशत, राजस्थान एवं जम्मू-कश्मीर में 25 प्रतिशत एवं हरियाणा में सबसे अधिक 26.7 प्रतिशत रही है।

कुल मिलाकर अब वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि दर रहने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 8.5 प्रतिशत के आस पास रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है। इस प्रकार भारत वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी विश्व में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की सूची में बना रहेगा।    

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